नमो नमो गुरुदेव हृदि , अन्तर रहे विराज ।
भीति मेटि निर्भय किए , पूर्ण भये सब काज।
नमो नमो गुरुदेव जिन , मगन किए संसार ।
काल कराले भय नहीं ,(घट) उपज्यो ब्रह्म विचार।
नमो नमो गुरुशब्द जिन , सभहिं दियो दिखाय।
ध्यान समाधि पाइकै , सुखातम रहे समाय ।
नमो नमो गुरुदेव जिन , ऐसी करी सहाय।
अव्यय अक्षय आत्मा , ता महिं गयो विल्हाई ।
लाल दयाल निवाजियो , निश्चय अपना जान।
आवागमन तें राखिकै, ब्रह्मातम दियो ज्ञान ।
नमो नमो गुरु देवता , परसत निर्मल होत ।
नित्य नमस्कृति कीजिये , मेटे मन की छोत।
नमो नमो गुरु देवता , सदा जाउँ बलिहार ।
मानुष तें देवता किए , जलधि उतारे पार ।
नमो नमो गुरु देव जू , कारख डारी खोइ।
निर्मल आप दिखाईकै, मन दिया सूत परोई ।
नमो नमो गुरु देवा जू , पारस किरपा कीन्ह।
देह धातु गुण इन्द्रिय , कंचन करि करि दीन्ह ।
नमो नमो गुरु देव जिन्ह , चंदन कियो सुवास ।
साधु अक्षय सुख देय कइ, मेटी जीव त्रास ।
नमो नमो गुरु भृंग जिन , आप सारखा कींन्ह ।
भीति मेटि निर्भय किए ,अभय पदार्थ दीन्ह
Wednesday, August 13, 2008
Tuesday, July 1, 2008
महाराज श्री बावा लाल जी की बानी
लाल सब में एको आत्मा जीव जंतु नर माहीं
करनी आपो आपनी हाथ किसे कछु नाहीं
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